[PDF]गणेश जी की सम्पूर्णआरती डाउनलोड करे | download ganpati aarti pdf 2023

ganpati aarti pdf – गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश को समर्पित हिंदुओं का प्रिय त्योहार, वह समय है जब दुनिया भर के भक्त गणेश भगवान के जन्म का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं। इस शुभ अवधि के दौरान सबसे महत्वपूर्ण और पोषित अनुष्ठानों में से एक है गणपति आरती का गायन। आरती एक भक्ति गीत है जो बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश के सम्मान और आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए गाया जाता है।

इस लेख में हम आपको, Ganesh Aarti PDF,उपलब्ध करवाएंगे Ganpati Bappa Aarti PDF के अलावा गणेश जी की आरती कैसे करें,गणेश पूजा कैसे करें, इसकी प्रक्रिया क्या है, यदि आप नहीं जानते तो यह सभी जानकारियां आपके साथ साझा करेंगे,दोस्तों यहां पर हमने Ganesh ji ki aarti PDF in Hindi, मैं तो उपलब्ध करवाया ही है साथ ही Ganesh Ji Aarti PDF, मैं अलग-अलग आरती का महत्व के साथ Ganesh ji ki aarti उपलब्ध करवाया है आपको जिस Ganesh Bappa Aarti pdf की आवश्यकता है वह आप डायरेक्ट यहां से डाउनलोड कर सकते हैं l

Ganesh Ji Ki Aarti गणपति आरती का महत्व

यदि आप हिंदू धर्म को मानते हैं, तो आपको यह सब पता होगा कि Ganesh ji ki aarti क्योंकि जाती है इसका महत्व क्या है, और यदि नहीं है तो संक्षिप्त रूप से हम बताना चाहेंगे कि ganpati bappa aarti हिंदू अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं का एक अभिन्न अंग है। इसमें भजन या गीत गाते हुए देवता को प्रकाश अर्पित करना शामिल है। “आरती” शब्द संस्कृत शब्द “अरात्रिका” से लिया गया है, जिसका अर्थ है प्रकाश या दीपक चढ़ाने की क्रिया। यह परमात्मा के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक रूप है।

भगवान गणेश की पूजा में गणपति आरती का बहुत महत्व है। भगवान गणेश को सौभाग्य के अग्रदूत और अपने भक्तों के मार्ग से बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में पूजा जाता है। गणपति आरती गाना समृद्ध और बाधा मुक्त जीवन के लिए उनका आशीर्वाद लेने का एक तरीका है। आरती न केवल प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करती है बल्कि भक्त और देवता के बीच आध्यात्मिक संबंध भी बनाती है।

Ganpati Aarti PDF मे वे सभी आरतियों का संग्रह उपलब्ध करवाया है, जो आपके लिए पूजा करने में Ganesh Aarti PDF महत्वपूर्ण हो सकता है l

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गणपति आरती के विभिन्न रूप

गणपति आरती भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में विभिन्न रूपों और भाषाओं में गाई जाती है जहां गणेश की पूजा की जाती है। आज के इस लेख में हमने, गणेश जी की आरती हिंदी में, यहां साझा किया हुआ है, जिसमें गणेश जी की आरती विभिन्न रूपों में गायन किया जाता है, जैसे सुखकर्ता दुःखकरता गणेश जी की आरती, जय गणेश देवा आरती, महा गणपति आरती, गणपति अथर्वशीर्ष आरती, यह प्रमुख रूप से, Ganesh ji ki aarti, का गायन किया जाता है,

यहां हमने इन सभी प्रमुख रूप से भक्ति संगीत के माध्यम से,गणेश जी की संपूर्ण आरती, श्रद्धा पूर्वक गाया जाता है इनका विवरण यहां प्रदान करेंगे इसके अलावा इन सभी की Ganesh ji ki aarti PDF in Hindi, Ganpati Bappa Aarti PDF, नीचे डाउनलोड लिंक प्रदान करेंगे, यदि आपको आवश्यकता है तो Jai Ganesh Aarti PDF download, अपने मोबाइल फोन पर कर सकते हैं और जब चाहे तब इस ganpati aarti pdf का उपयोग करके श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते हैं l

सुखकर्ता दुखहर्ता आरती

यह आरती शायद सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से गाया जाने वाला रूप है। यह मराठी में गाया जाता है और भगवान गणेश के प्रति हार्दिक भक्ति और कृतज्ञता की अभिव्यक्ति से भरा होता है।हमने यहां पर सुखकर्ता दुखहर्ता आरती का संपूर्ण आरती दिया हुआ है इसके साथ-साथ इसके नीचे आपको सुखकर्ता दुखहर्ता Ganesh Aarti PDF download link भी मिल जाएगा यदि आपको इस गणेश आरती पीडीएफ की आवश्यकता है तो डाउनलोड कर सकते हैं l

[PDF]गणेश जी की सम्पूर्णआरती डाउनलोड करे | download ganpati aarti pdf 2023
[PDF]गणेश जी की सम्पूर्णआरती डाउनलोड करे | download ganpati aarti pdf
सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नांची।
नुरवी; पुरवी प्रेम, कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर, उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ, मुक्ताफळांची॥१॥
जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥धृ॥
रत्नखचित फरा, तुज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी , कुमकुम केशरा।
हिरेजडित मुकुट, शोभतो बरा ।
रुणझुणती नूपुरे, चरणी घागरिया।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती ॥२॥
लंबोदर पीतांबर, फणिवरबंधना ।
सरळ सोंड, वक्रतुंड त्रिनयना।
दास रामाचा, वाट पाहे सदना।
संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना।
जय देव जय देव, जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥३॥
गणपतीची आरती सुखकर्ता pdf

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जय गणेश देवा आरती

जय गणेश देवा आरती Ganesh ji ki aarti प्रमुख माना जाता है,यह आरती हिंदी में गाई जाती है और पूरे भारत में व्यापक रूप से लोकप्रिय है। यह न केवल गणेश चतुर्थी के दौरान बल्कि भगवान गणेश से जुड़े अन्य त्योहारों और विशेष अवसरों के दौरान भी गाया जाता है। गणेश जी की आरती हिंदी में नीचे हमने विवरण प्रदान की है, इसके साथ इसके नीचे में जय गणेश देवा आरती, Ganesh ji ki aarti PDF in Hindi मैं दिया है, जिसे आप अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड कर सकते हैंl

jai ganesh aarti pdf
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जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
“बोलो गणपति बाप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया”
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शेंदूर लाल चढायो

शेंदूर लाल चढायो
जय जयजी गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥ ध्रु० ॥
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरीहरको ॥
हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूँ पदको ॥१॥
अष्टी सिद्धी दासी संकटको बैरी ।
विघ्नविनाशन मंगलमूरत अधिकाई ॥
कोटीसुरजप्रकाश ऐसी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झुले शशिबहारी ॥जय० ॥२॥
भावभगतिसे कोई शारणागत आवे ।
संतति संपति सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भवे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे ॥ जय० ॥३॥
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जय देव जय मंगलमूर्ती

यह आरती भव्य और विस्तृत है, जो आमतौर पर मुख्य गणेश उत्सव, गणेश चतुर्थी के दौरान की जाती है। यह अक्सर वाद्य संगीत और नृत्य के साथ होता है।

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती ।
तुझे गुण वर्णाया मज कैंची स्फूर्ती ॥ ध्रु० ॥
नानापरिमळ दूर्वा शमिपत्रें ।
लाडू मोदक अन्नें परिपूरित पातें ।
ऐसें पूजन केल्या बीजाक्षरमंत्रें ।
अष्टहि सिद्धी नवनिधि देसी क्षणमात्रें ॥१॥
तुझे ध्यान निरंतर जे कोणी करिती ।
त्यांची सकलहि पापें विघ्नेंही हरती ॥
वाजी वारण शिबिका सेवक सुत युवती ।
सर्वहि पावुनि अंती भवसागर तरती ॥ जय देव० ॥ २ ॥
शरणागत सर्वस्वे भजती तव चरणीं ।
कीर्ति तयांची राहे जोंवर शाशितरणी ॥
त्रैयोक्यों ते विजयी अद्भुत हे करणी ।
गोसावीनंदन रत नामस्मरणीम ॥ जय देव जय देव० ॥३॥

गणपति अथर्वशीर्ष आरती

यह Ganesh Aarti PDF एक वैदिक मंत्र है स्तुति के लिए पढ़ा जाता है, हालांकि इस Ganpati Bappa ji ki aarti को कम लोगों द्वारा गायन किया जाता है पर, यह अपनी आध्यात्मिक गहराई के लिए जाना जाता है और आमतौर पर इसका जप उन लोगों द्वारा किया जाता है जो गहन ज्ञान और ज्ञान की तलाश में हैं। इस Ganesh ji ki aarti विवरण के साथ-साथ नीचे Ganesh Aarti PDF Hindi download link भी दिया हुआ है जहां से डाउनलोड भी किया जा सकता है l

ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः ।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाग्‍ँसस्तनूभिः ।
व्यशेम देवहितं यदायूः ।
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः ।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः ।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
ॐ नमस्ते गणपतये ॥१॥
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि ।
त्वमेव केवलं कर्ताऽसि ।
त्वमेव केवलं धर्ताऽसि ।
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि ।
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि ।
त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम् ॥२॥
ऋतं वच्मि । सत्यं वच्मि ॥३॥
अव त्वं माम् ।
अव वक्तारम् ।
अव श्रोतारम् ।
अव दातारम् ।
अव धातारम् ।
अवानूचानमव शिष्यम् ।
अव पुरस्तात् ।
अव दक्षिणात्तात् ।
अव पश्चात्तात् ।
अवोत्तरात्तात् ।
अव चोर्ध्वात्तात् ।
अवाधरात्तात् ।
सर्वतो मां पाहि पाहि समन्तात् ॥४॥
त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मयः ।
त्वमानन्दमयस्त्वं ब्रह्ममयः ।
त्वं सच्चिदानन्दाऽद्वितीयोऽसि ।
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि ।
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि ॥५॥
सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते ।
सर्वं जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति ।
सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति ।
सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति ।
त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभः ।
त्वं चत्वारि वाक् {परिमिता} पदानि ।
त्वं गुणत्रयातीतः ।
त्वं अवस्थात्रयातीतः ।
त्वं देहत्रयातीतः ।
त्वं कालत्रयातीतः ।
त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यम् ।
त्वं शक्तित्रयात्मकः ।
त्वां योगिनो ध्यायन्ति नित्यम् ।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं
रुद्रस्त्वमिन्द्रस्त्वमग्निस्त्वं
वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चन्द्रमास्त्वं
ब्रह्म भूर्भुवस्सुवरोम् ॥६॥
गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादींस्तदनन्तरम् ।
अनुस्वारः परतरः ।
अर्धेन्दुलसितम् ।
तारेण ऋद्धम् ।
एतत्तव मनुस्वरूपम् ॥७॥
गकारः पूर्वरूपम् ।
अकारो मध्यरूपम् ।
अनुस्वारश्चान्त्यरूपम् ।
बिन्दुरुत्तररूपम् ।
नादस्संधानम् ।
सग्ं‌हिता संधिः ॥८॥
सैषा गणेशविद्या ।
गणक ऋषिः ।
निचृद्गायत्रीच्छन्दः ।
गणपतिर्देवता ।
ॐ गं गणपतये नमः ॥९॥
एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि ।
तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥१०॥
एकदन्तं चतुर्हस्तं पाशमङ्कुशधारिणम् ।
रदं च वरदं हस्तैर्बिभ्राणं मूषकध्वजम् ॥
रक्तं लम्बोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम् ।
रक्तगन्धानुलिप्ताङ्गं रक्तपुष्पैस्सुपूजितम् ॥
भक्तानुकम्पिनं देवं जगत्कारणमच्युतम् ।
आविर्भूतं च सृष्ट्यादौ प्रकृतेः पुरुषात्परम् ।
एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वरः ॥११॥
नमो व्रातपतये ।
नमो गणपतये ।
नमः प्रमथपतये ।
नमस्तेऽस्तु लम्बोदरायैकदन्ताय
विघ्ननाशिने शिवसुताय वरदमूर्तये नमः ॥१२॥
एतदथर्वशीर्षं योऽधीते स ब्रह्मभूयाय कल्पते ।
स सर्वविघ्नैर्न बाध्यते ।
स सर्वत्र सुखमेधते ।
स पञ्चमहापापात्प्रमुच्यते ।
सायमधीयानो दिवसकृतं पापं नाशयति ।
प्रातरधीयानो रात्रिकृतं पापं नाशयति ।
सायं प्रातः प्रयुञ्जानो पापोऽपापो भवति ।
सर्वत्राधीयानोऽपविघ्नो भवति ।
धर्मार्थकाममोक्षं च विन्दति ॥१३॥
इदमथर्वशीर्षमशिष्याय न देयम् ।
यो यदि मोहाद्दास्यति स पापीयान् भवति ।
सहस्रावर्तनाद्यं यं काममधीते तं तमनेन साधयेत् ॥१४॥
अनेन गणपतिमभिषिञ्चति स वाग्मी भवति ।
चतुर्थ्यामनश्नन् जपति स विद्यावान् भवति ।
इत्यथर्वणवाक्यम् ।
ब्रह्माद्यावरणं विद्यान्न बिभेति कदाचनेति ॥१५॥
यो दूर्वाङ्कुरैर्यजति स वैश्रवणोपमो भवति ।
यो लाजैर्यजति स यशोवान् भवति ।
स मेधावान् भवति ।
यो मोदकसहस्रेण यजति स वाञ्छितफलमवाप्नोति ।
यस्साज्यसमिद्भिर्यजति स सर्वं लभते स सर्वं लभते ॥१६॥
अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग् ग्राहयित्वा सूर्यवर्चस्वी भवति ।
सूर्यग्रहेमहानद्यां प्रतिमासन्निधौ वा जप्त्वा सिद्धमन्त्रो भवति
महाविघ्नात् प्रमुच्यते ।
महादोषात् प्रमुच्यते ।
महाप्रत्यवायात् प्रमुच्यते ।
स सर्वविद् भवति स सर्वविद् भवति ।
य एवं वेद ।
इत्युपनिषत् ॥१७॥
ॐ शान्तिश्शान्तिश्शान्तिः ॥

एकदंताय वक्रतुण्डय आरती

यह आरती भगवान गणेश के विभिन्न रूपों और गुणों को समर्पित है, जो उनकी शक्ति, ज्ञान और बाधाओं को दूर करने की क्षमता पर जोर देती है।

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।
गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥
गानचतुराय गानप्राणाय गानान्तरात्मने ।
गानोत्सुकाय गानमत्ताय गानोत्सुकमनसे ।
गुरुपूजिताय गुरुदेवताय गुरुकुलस्थायिने ।
गुरुविक्रमाय गुह्यप्रवराय गुरवे गुणगुरवे ।
गुरुदैत्यगलच्छेत्रे गुरुधर्मसदाराध्याय ।
गुरुपुत्रपरित्रात्रे गुरुपाखण्डखण्डकाय ।
गीतसाराय गीततत्त्वाय गीतगोत्राय धीमहि ।
गूढगुल्फाय गन्धमत्ताय गोजयप्रदाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥
ग्रन्थगीताय ग्रन्थगेयाय ग्रन्थान्तरात्मने ।
गीतलीनाय गीताश्रयाय गीतवाद्यपटवे ।
गेयचरिताय गायकवराय गन्धर्वप्रियकृते ।
गायकाधीनविग्रहाय गङ्गाजलप्रणयवते ।
गौरीस्तनन्धयाय गौरीहृदयनन्दनाय ।
गौरभानुसुताय गौरीगणेश्वराय ।
गौरीप्रणयाय गौरीप्रवणाय गौरभावाय धीमहि ।
गोसहस्राय गोवर्धनाय गोपगोपाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

ganesh ji ki aarti कैसे करे ?

गणपति आरती विधि, भगवान गणेश को समर्पित एक भक्ति अनुष्ठान, गणपति आरती कैसे करें, इस पर निर्देशों या दिशानिर्देशों के बारे में जानकारी वर्णन किया है जो हमने ऊपर ही संपूर्ण आरती संग्रह PDF में चर्चा किया है । इस आरती को पूरी श्रद्धा और इसमें शामिल चरणों को समझकर करना आवश्यक है। यहां गणपति आरती कैसे करें, ganpati ji ki aarti संपूर्ण आरती के बारे में बताया हुआ है |

आरती के लिए आवश्यक वस्तुएँ

भगवान गणेश की मूर्ति या छवि।
एक दीया (तेल का दीपक) या कपूर, अगरबत्ती, एक शंख, फूल और एक घंटी के साथ एक आरती की थाली।
एक हारमोनियम या संगीत वाद्ययंत्र (वैकल्पिक, आरती गाने के लिए)।
आरती के लिए स्वच्छ एवं शांतिपूर्ण स्थान।

आरती की तैयारी

आरती की थाली तैयार करने से शुरुआत करें. दीया और अगरबत्ती जलाएं। दीया दिव्य प्रकाश की उपस्थिति का प्रतीक है, और धूप पर्यावरण को शुद्ध करती है।
आरती की थाली में शंख, फूल और घंटी की व्यवस्था करें।


ध्यान केंद्रित करना

आरती शुरू करने से पहले शांत और ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। अपने मन को शांत करने के लिए अपनी आँखें बंद करें और कुछ गहरी साँसें लें।
आरती को आशीर्वाद देने और इस अनुष्ठान के दौरान आपके साथ शामिल होने के लिए मानसिक रूप से भगवान गणेश का आह्वान करें। आप भगवान गणेश को समर्पित एक संक्षिप्त प्रार्थना या मंत्र का पाठ कर सकते हैं, जैसे “ओम गं गणपतये नमः।”

ganesh ji ki aarti गाएँ

अगर आप गा सकते हैं तो आप गणपति आरती गाना शुरू कर सकते हैं. गणपति आरती के विभिन्न रूप हैं, जैसे “सुखकर्ता दुखहर्ता,” “जय ​​गणेश देवा,” और “महा गणपति आरती।” वह चुनें जिसके साथ आप सबसे अधिक सहज हों।
यदि आपके पास हारमोनियम या कोई अन्य संगीत वाद्ययंत्र है, तो यह आरती के संगीत पहलू को बढ़ा सकता है। आप आरती का रिकॉर्डेड संस्करण भी चला सकते हैं।

ganpati bappa aarti के साथ हाथो में पूजा की थाली ले

आरती गाते या बजाते समय, आरती की थाली को अपने दाहिने हाथ में पकड़ें और इसे भगवान गणेश की मूर्ति या छवि के सामने धीरे से दक्षिणावर्त दिशा में घुमाएँ। दीये की लौ, धूप का धुआं और फूलों की खुशबू देवता को प्रसाद चढ़ाने का प्रतीक है।

गणेश जी आरती के साथ घंटी बजाएं

जैसे ही आप आरती की थाली हिलाएं, अपने बाएं हाथ से घंटी बजाएं। माना जाता है कि घंटी की आवाज नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करती है।

शंख बजाएं [ यदि है तो ]

आरती की थाली से आरती पूरी करने के बाद आप शंख बजा सकते हैं. शंख की ध्वनि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

फूल अर्पण करे

आरती गाने के बाद आरती की थाली से कुछ फूल लें और उन्हें भगवान गणेश की मूर्ति पर चढ़ा दें। यह आपकी भक्ति और समर्पण का प्रतीक है.

आरती संपन्न करे

श्रद्धापूर्वक सिर झुकाकर और भगवान गणेश को उनके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद देकर आरती समाप्त करें। आप अपनी व्यक्तिगत प्रार्थनाएँ भी कर सकते हैं या किसी विशिष्ट इच्छा या बाधा के लिए उनका मार्गदर्शन ले सकते हैं जिन्हें आप दूर करना चाहते हैं।


प्रसाद वितरण करे

आरती के बाद, आप उपस्थित लोगों को प्रसादम (पवित्र भोजन) वितरित कर सकते हैं, जो भगवान गणेश के आशीर्वाद का प्रतीक है।

निष्कर्ष

उम्मीद करते हैं गणेश संपूर्ण आरती संग्रह PDF मैं वह सभी जिसमें देवी आरती संग्रह मराठी PDF, Ganesh Aarti PDF in Hindi, सभी गणेश आरती पीएफ के अलावा जानकारी प्रदान करने की हमारे द्वारा कोशिश की गई है, जो आपके लिए गणेश जी की आरती करने के लिए एवं मार्गदर्शन के लिए महत्वपूर्ण होगी, गणेश जी की आरती के अलावा यदि आपको कोई भी प्रकार के आरती पीडीएफ, या दूसरा कोई आपका सवाल है तो आप कमेंट जरुर करें, हम उन सवालों का जवाब देने का कोशिश करेंगे, धन्यवाद

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